सहो बलं सहा मार्गः
इत्यमरः (अमरकोशः ३.३.२४७ ) । इयं मेदिनीर्वा। उद्वेगं भयं व्रजेदिति हेतोः। सदयं सकृपं बुभुजे भुक्तवान्। भुजोऽनवने
(अष्टाध्यायी १.३.६६ ) इत्यात्मनेपदम् ॥
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स | द | यं | बु | भु | जे | म | हा | भु | ||||
जः | स | ह | सो | द्वे | ग | मि | यं | व्र | जे | दि | ति | |
अ | चि | रो | प | न | तां | स | मे | दि | ||||
नीं | न | व | पा | णि | ग्र | ह | र | णां | व | धू | मि | व |