पक्षी श्येनः
इत्यमरः (अमरकोशः २.८.५९ ) । नखाग्रकोटिषु व्यासक्ताः केशा येषां तानि। आधोरणानां हस्त्यारोहाणाम्। आधोरणा हस्तिपका हस्त्यारोहा निषादिनः
इत्यमरः (अमरकोशः २.८.५९ ) । शिरांसि चिरेण पेतुः पतितानि। शिरः पातात्प्रागेवारुह्य पश्चादुत्पततां पक्षिणां नखेषु केशसङ्गश्चिरपातहेतुरिति भावः ॥
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
आ | धो | र | णा | नां | ग | ज | सं | नि | पा | ते |
शि | रां | सि | च | क्रै | र्नि | शि | तैः | क्षु | रा | ग्रैः |
ह | ता | न्य | पि | श्ये | न | न | खा | ग्र | को | टि |
व्या | स | क्त | के | शा | नि | चि | रे | ण | पे | तुः |