ध्वजिनी वाहिनी सेना
इत्यमरः (अमरकोशः २.८.७८ ) । भागीरथीमुत्तरंगः शोणः शोणाख्यो नद इव। प्रत्यग्रहीदभियुक्तवान् ॥
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त | स्याः | स | र | क्षा | र्थ | म | न | ल्प | यो | ध |
मा | दि | श्य | पि | त्र्यं | स | चि | वं | कु | मा | रः |
प्र | त्य | ग्र | ही | त्पा | र्थि | व | वा | हि | नीं | तां |
भा | गी | र | थीं | शो | ण | इ | वो | त्त | रं | गः |
त | त | ज | ग | ग |