स्नातकस्त्वाप्लुतो व्रती
इत्यमरः (अमरकोशः २.७.४७ ) । बन्धुमता। बन्धुपुरः सरेणेत्यर्थः। राज्ञा च पुरंध्रिभिः पतिपुत्रवतीभिर्नारीभिश्च क्रमशः प्रयुक्तं स्नातकादीनां पूर्वपूर्ववैशिष्ट्यात्क्रमेण कृतमार्द्राक्षतानामारोपणमन्वभूतामनुभूतवन्तौ ॥
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तौ | त्ना | त | कै | र्ब | न्धु | म | ता | च | रा | ज्ञा |
पु | रं | ध्रि | भि | श्च | क्र | म | शः | प्र | यु | क्तम् |
क | न्या | कु | मा | रौ | क | न | का | स | न | स्था |
वा | र्द्रा | क्ष | ता | रो | प | ण | म | न्व | भू | ताम् |