साक्षात्प्रत्यक्षतुल्ययोः
इत्यमरः (अमरकोशः ३.३.२५८ ) । स्कन्देन युक्तां देवसेनामिव। देवसेना नाम देवपुत्री स्कन्दपत्नी तामिव स्थितां स्वसारं भगिनीमुन्दुमतीमादाय गृहीत्वा पुरप्रवेशाभिमुखो बभूव। उपजातिवृत्तं सर्गेऽस्मिन् ॥
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अ | थो | प | य | न्त्रा | स | दृ | शे | न | यु | क्तां |
स्क | न्दे | न | सा | क्षा | दि | व | दे | व | से | नाम् |
स्व | सो | र | मा | दा | य | वि | द | र्भ | ना | थः |
पु | र | प्र | वे | शा | भि | मु | खो | ब | भू | व |