कालिन्दी सूर्यतनया यमुना शमनस्वसा
इत्यमरः (अमरकोशः १.१०.३२ ) । मथुरा नामास्य राज्ञो नगरी। तां गतापि। गङ्गाया विप्रकृष्टापीत्यर्थः। मथुरायां गङ्गाभावं सूचयतिअपि
शब्दः। कालिन्दीतीरे मथुरा लवणासुरवधकाले शत्रुघ्नेन निर्मास्यतेति वक्ष्यति। तत्कथमधुना मथुरासंभव इति चिन्त्यम्। मथुरा मधुरापुरीति शब्दभेदः। यद्वा, -साम्येति गङ्गाया भागीरथ्या ऊर्मिभिः संसक्तजलेव भाति। धवलचन्दनसंसर्गात्प्रयागादन्यत्राप्यत्र गङ्गासंगतेव भातीत्यर्थः। सितासिते हि गङ्गायमुने
इति घण्टापथः ॥
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