ऊरूत्तरपदादौपम्ये
(अष्टाध्यायी ४.१.६९ ) इत्यूङ्प्रत्ययः। नदीत्वाद्ध्रस्वः। यूनाऽनेन पार्थिवेन सह। सिप्रा नाम तत्रत्या नदी तस्यास्तरंगाणामनिलेन कम्पितासूद्यानानां परंपरासु पङ्क्तिषु विहर्तुं ते तव मनसो रुचिः कञ्चित्? स्पृहाऽस्ति किमित्यर्थः। अभिष्वङ्गे स्पृहायां च गभस्तौ च रुचिः स्त्रियाम्
इत्यमरः (अमरकोशः ३.३.३५ ) ॥
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अ | ने | न | यू | ना | स | ह | पा | र्थि | वे | न |
र | म्भो | रु | क | च्चि | न्म | न | सो | रु | चि | स्ते |
सि | प्रा | त | र | ङ्गा | नि | ल | क | म्पि | ता | सु |
वि | ह | र्तु | मु | द्या | न | प | र | म्प | रा | सु |