पोतः पाकोऽर्भको डिम्भः पृथुकः शावकः शिशुः
इत्यमरः (अमरकोशः २.५.४० ) । शिलानां विभङ्गैर्भङ्गीस्तुङ्गमुन्नतं नगोत्सङ्गं शैलाग्रमिव। आरुरोह ॥
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वै | द | र्भ | नि | र्दि | ष्ट | म | सौ | कु | मा | रः |
क्लृ | प्ते | न | सो | पा | न | प | थे | न | म | ञ्चम् |
शि | ला | वि | भ | ङ्गै | र्मृ | ग | रा | ज | शा | व |
स्तु | ङ्गं | न | गो | त्स | ङ्ग | मि | वा | रु | रो | ह |