तस्येदम्
(अष्टाध्यायी ४.३.१२० ) इत्यण्। ब्रह्मदेवताकेऽभिजिन्नामके मुहूर्ते किलेषदसमाप्तं कुमारं कुमारकल्पं स्कन्दसदृशम्। ईषदसमाप्तौ-
(अष्टाध्यायी ५.६.६७ ) इत्यादिना कल्पप्प्रत्ययः। कुमारं पुत्रं सुषुवे। कुमारो बालके स्कन्दे
इति विश्वः। अतो ब्राह्ममुनहूर्तोत्पन्नत्वात् पिता रघुर्ब्रह्मणो विधेरेव नाम्ना तमात्मजन्मानं पुत्रमज मजनामकं चकार। अजो हरौ हरे कामे विधौ छागे रघोः सुते
इति विश्वः ॥
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ब्रा | ह्मे | मु | हू | र्ते | कि | ल | त | स्य | दे | वी |
कु | मा | र | क | ल्पं | सु | षु | वे | कु | मा | रम् |
अ | तः | पि | ता | ब्र | ह्म | ण | ए | व | ना | म्ना |
त | मा | त्म | ज | न्मा | न | म | जं | च | का | र |