सञ्जीविनीटीका (मल्लिनाथः)
कामरूपेश्वर इति॥ कामरूपेश्वरो हेमपीठस्याधिदेवतां तस्य रघोः पादयोश्छायां कनकमयपादपीठव्यापिनीं कान्तिं रत्नान्येव पुष्पाणि तेषामुपहारेण समर्पणेनानर्चार्चयामास ॥
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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का | म | रू | पे | श्व | र | स्त | स्य |
हे | म | पी | ठा | धि | दे | व | ताम् |
र | त्न | पु | ष्पो | प | हा | रे | ण |
छा | या | मा | न | र्च | पा | द | योः |