सञ्जीविनीटीका (मल्लिनाथः)
तमिति॥ कामरूपाणां नाम देशानामीशोऽत्याखण्डलविक्रममतीन्द्रपराक्रमं तं रघुम्। भिन्नाः स्रवन्मदाः कटा गण्डा येषां तैर्नागैर्गजैः साधनैः । भेजे। नागान्दत्त्वा शरणं गत इत्यर्थः। कीदृशैर्नागैः? यैरन्यान् रघुव्यतिरिक्तान्नृपानुपरुरोध शूराणामपि शूरो रघुरिति भावः ॥
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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त | मी | शः | का | म | रू | पा | णा |
म | त्या | ख | ण्ड | ल | वि | क्र | मम् |
भे | जे | भि | न्न | क | टै | र्ना | गै |
र | न्या | नु | प | रु | रो | ध | यैः |