भाषायां सदवसश्रुवः
(अष्टाध्यायी ३.२.१०८ ) इति क्वसुप्रत्ययः। उगितश्च
(अष्टाध्यायी ४.१.६ ) इति ङीप्। आसनबन्ध उपवेशने धीरः स्थितः। उपविष्टः सन्नित्यर्थः। जलमाददानां पिबन्तीं जलाभिलाषी। पिबन्नित्यर्थः। इत्थं छायेवान्वगच्छदनुसृतवान् ॥
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स्थि | तः | स्थि | ता | मु | ञ्च | लि | तः | प्र | या | तां |
नि | षे | दु | षी | मा | स | न | ब | न्ध | धी | रः |
ज | ला | भि | ला | षी | ज | ल | मा | द | दा | नां |
छा | ये | व | तां | भू | प | ति | र | न्व | ग | च्छत् |