स्याद्दयालुः कारुणिकः
इत्यमरः (अमरकोशः ३.१.१५ ) । ननु मुख्यमुपेक्ष्यामुख्यशरीरे कोऽभिनिवेशः? अत आह-एकान्तेति॥ मद्विधानां मादृशानां विवेकिनामेकान्तविध्वंसिष्ववश्यविनाशिषु भौतिकेषु पृथिव्यादिभूतविकारेषु पिण्डेषु शरीरेष्वनास्था खल्वनपेक्षैव। आस्था त्वालम्बनास्थानयत्नापेक्षासु कथ्यते
इति विश्वः ॥
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कि | म | प्य | हिं | स्य | स्त | व | चे | न्म | तो | ऽहं |
य | शः | श | री | रे | भ | व | मे | द | या | लुः |
ए | का | न्त | वि | ध्वं | सि | षु | म | द्वि | धा | नां |
पि | ण्डे | ष्व | ना | स्था | ख | लु | भौ | ति | के | षु |