षष्ठी हेतुप्रयोगे
(अष्टाध्यायी २.३.३६ ) इति षष्ठी। हातुं त्यक्तुमिच्छंस्त्वं विचारे कार्याकायविमर्शे मूढो मूर्खो मे मम प्रतिभासि ॥
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ए | का | त | प | त्रं | ज | ग | तः | प्र | भु | त्वं |
न | वं | व | यः | का | न्त | मि | दं | व | पु | श्च |
अ | ल्प | स्य | हे | तो | र्ब | हु | हा | तु | मि | च्छ |
न्वि | चा | र | मू | ढः | प्र | ति | भा | सि | मे | त्वम् |