अनु शब्देन धेनुगजव्यापारयोः पौर्वापर्यमुच्यते।
क्रम
शब्देन धेनुव्यापाराणामेवेत्यपौनरुक्त्यम्। कर्मप्रवचनीययुक्ते-
(अष्टाध्यायी २.३.८ ) इति द्वितीया ॥
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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ता | म | न्ति | क | न्य | स्त | ब | लि | प्र | दी | पा |
म | न्वा | स्य | गो | प्ता | गृ | ही | णी | स | हा | यः |
क्र | मे | ण | सु | प्ता | म | नु | सं | वि | वे | श |
सु | प्तो | त्थि | तां | प्रा | त | र | नू | द | ति | ष्ठत् |