तस्येश्वरः
(अष्टाध्यायी ५.१.४२ ) इत्यञ्प्रत्ययः। पुरस्कृताऽग्रतः कृता। धर्मस्य पत्नी धर्मपत्नी। धर्मार्थपत्नीत्यर्थः। अश्वघासादिवत्तादर्थ्ये षष्ठीसमासः। पार्थिवस्य धर्मपत्न्या सा धेनुस्तदन्तरे तयोर्दंपत्योर्मध्ये। दिनक्षपयोर्दिनरात्र्योर्मध्यगता संध्येव। रराज॥
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पु | र | स्कृ | ता | व | र्त्म | नि | पा | र्थि | वे | न |
प्र | त्यु | द्ग | ता | पा | र्थि | व | ध | र्म | प | त्न्या |
त | द | न्त | रे | सा | वि | र | रा | ज | धे | नु |
र्दि | न | क्ष | पा | म | ध्य | ग | ते | व | सं | ध्या |