चन्द्रशाला शिरोगृहम्
इति हलायुधः। क्षणं प्रतिश्रुद्भिः प्रतिध्वानैर्मुखरा ध्वनन्तीः करोति। स्त्री प्रतिश्रुत्प्रतिध्वाने
इत्यमरः (अमरकोशः १.६.२८ ) ॥
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
त | स्या | य | म | न्त | र्हि | त | सौ | ध | भा | जः |
प्र | स | क्त | सं | गी | त | मृ | द | ङ्ग | घो | षः |
वि | य | द्ग | तः | पु | ष्प | क | च | न्द्र | शा | लाः |
क्ष | णं | प्र | ति | श्रु | न्मु | ख | राः | क | रो | ति |