समस्तृतीयायुक्तात्
(अष्टाध्यायी १.३.५४ ) इति संपूर्वाञ्चरतेरात्मनेपदम् ॥
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क्व | चि | त्प | था | सं | च | र | ते | सु | रा | णां |
क्व | चि | द्ध | ना | नां | प | त | तां | क्व | चि | ञ्च |
य | था | वि | धो | मे | म | न | सो | ऽभि | ला | षः |
प्र | व | र्त | ते | प | श्य | त | था | वि | मा | नम् |
ज | त | ज | ग | ग |