पूर्वपदात्संज्ञायामगः
(अष्टाध्यायी ८.४.३ ) इति णत्वम्। राघवम्। निदाघार्ता घर्मतप्ता व्याकुला व्याली भुजंगी मलयद्रुमं चन्दनद्रुममिव। अभिपेदे प्राप ॥
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रा | व | णा | व | र | जा | त | त्र |
रा | घ | वं | म | द | ना | तु | रा |
अ | भि | पे | दे | नि | दा | घा | र्ता |
व्या | ली | व | म | ल | य | द्रु | मम् |