दोषैकदृक्पुरोभागी
इत्यमरः (अमरकोशः ३.१.४६ ) । दुःश्लिष्टदोषघातमाचरन्कुर्वन्निव। नखैर्विददार विलिलेख। किल
इत्यैतिह्ये ॥
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ऐ | न्द्रिः | कि | ल | न | खै | स्त | स्या |
वि | द | दा | र | स्त | नौ | द्वि | जः |
प्रि | यो | प | भो | ग | चि | ह्ने | षु |
पौ | रो | भा | ग्य | मि | वा | च | रन् |