सञ्जीविनीटीका (मल्लिनाथः)
प्रभावेति॥ स रामः कदाचित् प्रभावेण स्वमहिम्ना स्तम्भिता स्थिरीकृता छाया यस्य तं वनस्पतिमाश्रितः सन्। किंचिदीषच्छ्रमादिव सीताया अङ्के शिश्ये सुष्वाप ॥
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० |
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प्र | भा | व | स्त | म्भि | त | च्छा | य |
मा | श्रि | तः | स | व | न | स्प | तिम् |
क | दा | चि | द | ङ्के | सी | ता | याः |
शि | श | अ | ये | किं | चि | दि | व | श्र | मात् |