अन्तात्यन्ताध्वदूरपारसर्वानन्तेषु डः
(अष्टाध्यायी ३.२.४८ ) इति डप्रत्ययः। छायाप्रधानं वृक्षं छायावृक्षमिव। शाकपार्थिवादित्वात्समासः। हरिं विष्णुमभिजग्मुः ॥
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त | स्मि | न्न | व | स | रे | दे | वाः |
पौ | ल | स्त्यो | प | प्लु | ता | ह | रिम् |
अ | भि | ज | ग्मु | र्नि | दा | घा | र्ता |
श्छा | या | वृ | क्ष | मि | वा | ध्व | गाः |