चरति
(अष्टाध्यायी ४.४.८ ) इति ठक्प्रत्ययः। मेघावरणतत्परा रावणभयान्मेघेष्वन्तर्धानतत्पराः। पुण्यकृतः सुकृतिनः पुष्पकालोकेन यदृच्छया रावणविमानदर्शनेन यः संक्षोभो भयचकितं तं त्यजन्तु । संक्षोभो भयचकितम्
इति शब्दार्णवः ॥
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वै | मा | नि | काः | पु | ण्य | कृ | त |
स्त्य | ज | न्तु | म | रु | तां | प | थि |
पु | ष्प | का | लो | क | सं | क्षो | भं |
मे | घा | व | र | ण | त | त्प | राः |