स्यादालवालमावालमावापः
इत्यमरः (अमरकोशः १.१०.२९ ) । विहंगानां पक्षिणां विश्वासाय विश्रम्भाय। समौ विश्रम्भविश्वासौ
इत्यमरः (अमरकोशः १.१०.२९ ) । तत्क्षणे सेकक्षण उज्झिता वृक्षका ह्रस्ववृक्षा यस्मिंस्तम्। ह्रस्वार्थे कप्रत्ययः ॥
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से | का | न्ते | मु | नि | क | न्या | भि |
स्त | त्क्ष | णो | ज्झि | त | वृ | क्ष | कम् |
वि | श्वा | सा | य | वि | हं | गा | ना |
मा | ल | वा | ला | म्बु | पा | यि | नाम् |