प्रथने वाचशब्दे
(अष्टाध्यायी ३.३.३३ ) इति घञो निषेधात्,
ॠदोरप्(अष्टाध्यायी ३.३.५७ ) इत्यप्प्रत्ययः।
विस्तारो विग्रहो व्यासः स च शब्दस्य विस्तरः` इत्यमरः (अमरकोशः ३.२.२२ ) । वाक्यं वक्तुं प्रचक्रमे ॥
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त | स्मि | न्स | मा | वे | शि | त | चि | त्त | वृ | त्ति |
मि | न्दु | प्र | भा | मि | न्दु | म | ती | म | वे | क्ष्य |
प्र | च | क्र | मे | व | क्तु | म | नु | क्र | म | ज्ञा |
स | वि | स्त | रं | वा | क्य | मि | दं | सु | न | न्दा |