स प्रभावः प्रतापश्च यत्तेजः कोशदण्डजम्
इत्यमरः। ततः शब्दः सेनाकलकलः। तदनन्तरं परागो धूलिः। परागः पुष्परजसि धूलिस्नानीययोरपि
इति शब्दाध्याहारेण योज्यम्। इतीत्थं चतुःस्कन्धेव चतुर्व्यूहेव। स्कन्धः प्रकाण्डे कायांशे विज्ञानादिषु पञ्चसु। नृपेसमूहे व्यूहे च
इति हैमः। सा चमूर्ययौ ॥
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प्र | ता | पो | ऽग्रे | त | तः | श | ब्दः |
प | रा | ग | स्त | द | न | न्त | रम् |
य | यौ | प | श्चा | द्र | था | दी | ति |
च | तुः | स्क | न्धे | व | सा | च | मूः |