किरणप्रग्रहौ रश्मी
इत्यमरः (अमरकोशः ३.३.१४६ ) । संयतं बद्धमश्वं हरन्तं पर्वतपक्षाणां शातनं छेदकं देवमिन्द्रं पूर्वतः पूर्वस्यां दिशि ददर्श ॥
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स | पू | र्व | तः | प | र्व | त | प | क्ष | शा | त | नं |
द | द | र्श | दे | वं | न | र | दे | व | सं | भ | वः |
पु | नः | पु | नः | सू | त | नि | षि | द्ध | चा | प | लं |
ह | र | न्त | म | श्वं | र | थ | र | श्मि | सं | य | तम् |
ज | त | ज | र |