यावत्पुरानिपातवोर्लट्
(अष्टाध्यायी ३.३.४ ) इति भविष्यदर्थे लट्। वसुधायां निचख्नतुर्भूमौ खनित्वा निक्षिप्तवन्तौ च ॥
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|
तं | वि | नि | ष्पि | ष्य | का | कु | त्स्थौ | |
पु | रा | दू | ष | य | ति | स्थ | लीम् | |
ग | न्धे | ना | शु | चि | ना | चे | ति | |
व | सु | धा | यां | नि | च | ट | ख्न | तुः |