शिखा चूडा शिखण्डः स्यात्
इत्यमरः। शेषाद्विभाषा
(अष्टाध्यायी ५.४.१५४ ) इति कप्प्रत्ययः। धन्विनौ तावुभौ। पौरदृष्टिभिः कृतानि मार्गतोरणानि संपाद्यानि कुवलयानि ययोस्तौ तथोक्तौ। संघशो निरीक्ष्यमाणावित्यर्थः। तमृषिमन्वगच्छताम् ॥
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तौ | पि | तु | र्न | य | न | जे | न | वा | रि | णा |
किं | चि | दु | क्षि | त | शि | ख | ण्ड | का | वु | भौ |
ध | न्वि | नौ | त | मृ | षि | म | न्व | ग | च्छ | तां |
पौ | र | दृ | ष्टि | कृ | त | मा | र्ग | तो | र | णौ |
र | न | र | ल | ग |