अथ प्रतिज्ञाजिसंविदापत्सु संगरः
इत्यमरः। मैथिलो राघवाय। अयोनिजां तनयां द्युतिमतस्तेजस्विनस्तपोनिधेः कौशिकस्य संनिधौ। अग्निः साक्षी यस्य सोऽग्निसाक्षिकः। शेषाद्विभाषा
(अष्टाध्यायी ५.४.१५४ ) इति कप्प्रत्ययः। स इव। सपद्यतिसृष्टवान् दत्तवान् ॥
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मै | थि | लः | स | प | दि | स | त्य | सं | ग | रो |
रा | घ | वा | य | त | न | या | म | यो | नि | जाम् |
सं | नि | धौ | द्यु | ति | म | त | स्त | पो | नि | धे |
र | ग्नि | सा | क्षि | क | इ | वा | ति | सृ | ष्ट | वान् |
र | न | र | ल | ग |