कलभः करिशावकः
इत्यमरः (अमरकोशः २.८.३५ ) । मोघवृत्ति व्यर्थव्यापारं चेष्टितं साहसमनुमन्तुमहं नोत्सहे ॥
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अ | व्र | वी | ञ्च | भ | ग | व | न्म | त | ङ्ग | जै |
र्य | द्बृ | ह | द्भि | र | पि | क | र्म | दु | ष्क | रम् |
त | त्र | ना | ह | म | नु | म | न्तु | मु | त्स | हे |
मो | घ | वृ | त्ति | क | ल | भ | स्य | चे | ष्टि | तम् |
र | न | र | ल | ग |