अत इञ्
(अष्टाध्यायी ८.१.९५ ) इतीञ्प्रत्ययः। रामो भूत्वा तीक्ष्णैः शरैस्तस्य रावणस्य शिरांस्येव कमलानि तेषामुञ्चयं राशिं रणभूमेर्बलिक्षमं पूजार्हं करिष्यामि। पुष्पविशदा हि पूजेति भावः ॥
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सो | ऽहं | दा | श | र | थि | र्भू | त्वा |
र | ण | भू | मे | र्व | लि | क्ष | मम् |
क | रि | ष्या | मि | श | रै | स्ती | क्ष्णै |
स्त | च्छि | रः | क | म | लो | ञ्च | यम् |