सञ्जीविनीटीका (मल्लिनाथः)
इतीति॥ इति राज्ञा विज्ञापित ऋषिर्ध्यानेन स्तिमिते लोचने यस्य ध्यानस्तिमितलोचनो निश्चलाक्षः सन् क्षणमात्रम्। सुप्तमीनो ह्रद इव। तस्थौ॥
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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इ | ति | वि | ज्ञा | पि | तो | रा | ज्ञा |
ध्या | न | स्ति | मि | त | लो | च | नः |
क्ष | ण | मा | त्र | मृ | षि | स्त | स्थौ |
सु | प्त | मी | न | इ | व | ह्र | दः |