काम्यञ्च
(अष्टाध्यायी ३.१.९ ) इति पुत्र
शब्दात् काम्यच्प्रत्ययः। अ प्रत्ययात्
(अष्टाध्यायी ३.३.१०२ ) इति पुत्रकाम्यधातोरकारप्रत्ययः। ततष्टाप्, तया। तौ दंपती जायापती। राजदन्तादिषु जायाशब्दस्य दमिति निपातनात्साधुः। प्रतयौ पूतौ विधातारं ब्रह्माणमभ्यर्च। स खलु पुत्रार्थिभिरुपास्यते
इति मान्त्रिकाः। गुरोः कुलगुरोः। वसिष्ठस्याश्रमं जग्मतुः। पुत्रप्राप्त्युपायापेक्षयेति शेषः॥
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