आत्मा वै पुत्रनामासि
(आ.गृ.१।१५) इति श्रुतेः। विलम्बितं फलं पुत्रप्राप्तिरूपं येषां तैर्मनोरथैः कदा मे पुत्रो भवेदित्याशाभिः कालं निनाय यापयामास ॥
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त | स्या | मा | त्मा | नु | रू | पा | या |
मा | त्म | ज | न्म | स | मु | त्सु | कः |
वि | ल | म्बि | त | फ | लैः | का | लं |
स | नि | ना | य | म | नो | र | थैः |