सञ्जीविनीटीका (मल्लिनाथः)
दधत इति॥ मङ्गलक्षौमे दधतो वस्कले वसानस्याच्छादयतश्च तस्य रामस्य सममेकविधं मुखरागं मुखवर्णं जना विस्मिता ददृशुः। सुखदुःखयोरविकृत इति भावः ॥
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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द | ध | तो | म | ङ्ग | ल | क्षौ | मे |
व | सा | न | स्य | च | व | ल्क | ले |
द | दृ | शु | र्वि | स्मि | ता | स्त | स्य |
मु | ख | रा | गं | स | मं | ज | नाः |