परिघः परिघातनः
इत्यमरः (अमरकोशः २.८.९१ ) । शिलाभिर्निष्पिष्टाश्चूर्णिता मुद्गरा अयोघना यस्मिन्स तथोक्तः। द्रुघणो मुद्गरघनौ
इत्यमरः (अमरकोशः २.८.९१ ) । अतिशस्त्राः शस्त्राण्यतिक्रान्ता नखान्यासा यस्मिन्स तथोक्तः। शैलै रुग्णा भग्ना मतंगजा यस्मिन्स तथोक्तः ॥
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पा | द | पा | वि | द्ध | प | रि | घः |
शि | ला | नि | ष्पि | ष्ट | मु | द्ग | रः |
अ | ति | श | स्त्र | न | ख | न्या | सः |
शै | ल | रु | ग्ण | म | तं | ग | जः |