तस्यापत्यम्
(अष्टाध्यायी ४.१.९२ ) इत्यणि कृते केकयमित्रयुप्रलयानां यादेरियः
(अष्टाध्यायी ३.२.५० ) इतीयादेशः। तस्या भरतो नाम शीलवांस्तनयो जज्ञे जातः। यस्तनयः। प्रश्रयो विनयः श्रियमिव। जनयित्रीं मातरमलंचक्रे ॥
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कै | के | य्या | स्त | न | यो | ज | ज्ञे |
भ | र | तो | ना | म | शी | ल | वान् |
ज | न | यि | त्री | म | लं | च | क्रे |
यः | प्र | श्र | य | इ | व | श्रि | यम् |